बंदूक से ज़्यादा ख़तरनाक टख़नों से ऊपर चढ़ी मोहरियाँ लग रही हैं।
मुझे तो दुनिया अब ख़त्म कर देने की सारी तय्यारियाँ लग रही हैं।
मुझे तो दुनिया अब ख़त्म कर देने की सारी तय्यारियाँ लग रही हैं।
फूल क्यों न खिला अबतक, मैंने तो बड़े जतन से इसको सींचा था,
देखो साज़िश करती हुई, कुसूरवार मुझे ये क्यारियाँ लग रही हैं।
देखो साज़िश करती हुई, कुसूरवार मुझे ये क्यारियाँ लग रही हैं।
जाने कैसा ज़हर हवा में शामिल होकर फैलता जा रहा है चुपचाप,
नए-नए असरात हो रहे हैं और रोज़ नई-नई बीमारियाँ लग रही हैं।
नए-नए असरात हो रहे हैं और रोज़ नई-नई बीमारियाँ लग रही हैं।
होश आने पर देखेंगे ये मंज़र जब उजड़ा हुआ तो फिर कुछ न होगा,
अभी तो नशेमन हैं जाने किस नशे की लत की खुमारियाँ लग रही हैं।
अभी तो नशेमन हैं जाने किस नशे की लत की खुमारियाँ लग रही हैं।
है हवा तेज़, शोला बनके दहकेगी एक आग पूरा वतन जल जाएगा।
बुझा दो इनको 'तनहा' तुम जो कहीं चिनगारियाँ लग रही हैं।
बुझा दो इनको 'तनहा' तुम जो कहीं चिनगारियाँ लग रही हैं।
©मोहसिन 'तनहा'
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